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जो अपना ग़म है उसे आईना दिखाऊँ मैं | शाही शायरी
jo apna gham hai use aaina dikhaun main

ग़ज़ल

जो अपना ग़म है उसे आईना दिखाऊँ मैं

खलील तनवीर

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जो अपना ग़म है उसे आईना दिखाऊँ मैं
बस एक क़तरे में दरिया समेट लाऊँ मैं

तिरी निगाह तो ख़ुश-मंज़री पे रहती है
तेरी पसंद के मंज़र कहाँ से लाऊँ मैं

जो दिल की हसरत-ए-तामीर है सो इतनी है
कि हो सके तो किसी दिल में घर बनाऊँ मैं

मैं जानता हूँ अँधेरों की ज़िंदगी क्या है
बुझे चराग़ तो दिल का दिया जलाऊँ मैं

जो ज़ख़्म देता है तो बे-असर ही देता है
ख़लिश वो दे कि जिसे भूल भी न पाऊँ मैं