जो अच्छे हैं उन की कहानी भी अच्छी
लड़कपन भी अच्छा जवानी भी अच्छी
तिरी मेहरबानी न अच्छी हो क्यूँ कर
कि है तेरी ना-मेहरबानी भी अच्छी
दर-ए-यार से हम को उठना है मुश्किल
जो ऐसी हो तो ना-तवानी भी अच्छी
तिरे तीर को अपना दिल क्यूँ न दें हम
निशाना भी अच्छा निशानी भी अच्छी
जो हो सिद्क़-ए-दिल से कोई सुनने वाला
तो वल्लाह झूटी कहानी भी अच्छी
कहीं इश्क़ में बद-गुमानी बुरी है
कहीं इश्क़ में बद-गुमानी भी अच्छी
मय-ए-नाब की क़द्र हम जानते हैं
नई तो नई ये पुरानी भी अच्छी
न हो दिल में लेकिन मिरे दिल के हक़ में
तुम्हारी मोहब्बत ज़बानी भी अच्छी
अगर 'नूह' की शेर-गोई है बेहतर
तो है 'नूह' की शेर-ख़्वानी भी अच्छी
ग़ज़ल
जो अच्छे हैं उन की कहानी भी अच्छी
नूह नारवी