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जितना कम सामान रहेगा | शाही शायरी
jitna kam saman rahega

ग़ज़ल

जितना कम सामान रहेगा

गोपालदास नीरज

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जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा

जितनी भारी गठरी होगी
उतना तू हैरान रहेगा

उस से मिलना ना-मुम्किन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा

हाथ मिलें और दिल न मिलें
ऐसे में नुक़सान रहेगा

जब तक मंदिर और मस्जिद हैं
मुश्किल में इंसान रहेगा

'नीरज' तू कल यहाँ न होगा
उस का गीत विधान रहेगा