जिस्म की सतह पे तूफ़ान किया जाएगा
अपने होने का फिर एलान किया जाएगा
हम रहेंगे अभी इस आइना-ख़ाने में असीर
अभी कुछ दिन हमें हैरान किया जाएगा
सामने से कोई बिजली सी गुज़र जाएगी
मेरे अंदर कोई हैजान किया जाएगा
मंज़िल-ए-ख़ाक पे जाना है इसी शर्त के साथ
ये सफ़र बे-सर-ओ-सामान किया जाएगा
आ रहा होगा वो दामन से हवा बाँधे हुए
आज ख़ुशबू को परेशान किया जाएगा
ग़ज़ल
जिस्म की सतह पे तूफ़ान किया जाएगा
सालिम सलीम