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जिस्म की सतह पे तूफ़ान किया जाएगा | शाही शायरी
jism ki sath pe tufan kiya jaega

ग़ज़ल

जिस्म की सतह पे तूफ़ान किया जाएगा

सालिम सलीम

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जिस्म की सतह पे तूफ़ान किया जाएगा
अपने होने का फिर एलान किया जाएगा

हम रहेंगे अभी इस आइना-ख़ाने में असीर
अभी कुछ दिन हमें हैरान किया जाएगा

सामने से कोई बिजली सी गुज़र जाएगी
मेरे अंदर कोई हैजान किया जाएगा

मंज़िल-ए-ख़ाक पे जाना है इसी शर्त के साथ
ये सफ़र बे-सर-ओ-सामान किया जाएगा

आ रहा होगा वो दामन से हवा बाँधे हुए
आज ख़ुशबू को परेशान किया जाएगा