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जिस्म के अंदर सिसकता कौन है | शाही शायरी
jism ke andar sisakta kaun hai

ग़ज़ल

जिस्म के अंदर सिसकता कौन है

तन्हा तिम्मापुरी

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जिस्म के अंदर सिसकता कौन है
ऐसे वीराने में बस्ता कौन है

ये ठिठुरती रात बर्फ़ीला समाँ
गीली आँखों में उतरता कौन है

ख़ौफ़ मिटने का नहीं है दोस्तो
ये बता देना कि मिटता कौन है

राम सा बन-बास कुछ मुश्किल नहीं
सिर्फ़ इक मुश्किल है सीता कौन है

शहर सारा जल गया अब सोचिए
शहर के नक़्शे बदलता कौन है

मुझ को अपनों से ही अक्सर डर लगा
जाने इन अपनों में डसता कौन है