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जिसे उड़ान के बदले थकान देता है | शाही शायरी
jise uDan ke badle thakan deta hai

ग़ज़ल

जिसे उड़ान के बदले थकान देता है

राशिद राही

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जिसे उड़ान के बदले थकान देता है
ख़ुदा उसे भी तो ऊँची उड़ान देता है

उसी के हिस्से में आती है मंज़िल-ए-मक़्सूद
जो हर क़दम पे यहाँ इम्तिहान देता है

अजीब बात है उस पे सितम कि बारिश है
जो चाहता है तुम्हें तुम पे जान देता है

दहक रही है यही आग मेरे सीने में
क़सम वो खा के भी झूटा बयान देता है

मज़ार-ए-हुस्न से आती है ये सदा 'राही'
वफ़ा पे देखिए अब कौन जान देता है