EN اردو
जिस तरफ़ हाल-ए-जुनूँ में तेरे दीवाने गए | शाही शायरी
jis taraf haal-e-junun mein tere diwane gae

ग़ज़ल

जिस तरफ़ हाल-ए-जुनूँ में तेरे दीवाने गए

शिव चरन दास गोयल ज़ब्त

;

जिस तरफ़ हाल-ए-जुनूँ में तेरे दीवाने गए
पीछे पीछे पैरवी में सारे फ़रज़ाने गए

इम्तिहाँ का वक़्त है आओ मदद के वास्ते
फिर न कहना हम ग़लत नज़रों से पहचाने गए

शैख़-साहब अपनी इज़्ज़त आप अपने हाथ है
महफ़िल-ए-रिंदाँ में क्यूँ फिर वा'ज़ फ़रमाने गए

देखिए इस तरह पैमान-ए-वफ़ा पूरा हुआ
शम्अ' जब रौशन हुई मरने को परवाने गए

बुलबुल-ओ-गुल की कशिश और दस्त-ए-गुल-चीं से गिला
क्या वो समझे जो चमन से सू-ए-वीराने गए

वो चमन में क्या गए गोया बहारें आ गईं
हम जिधर जाने लगे हैं साथ वीराने गए

ज़ब्त ने देखा है ऐसा वक़्त भी गुलशन में जब
दाद-ख़्वाही के लिए गुलचीं से गुल-ख़ाने गए