जिस समय तेरा असर था मुझ में
बात करने का हुनर था मुझ में
सुब्ह होते ही सभी ने देखा
कोई ता हद्द-ए-नज़र था मुझ में
माँ बताती है कि बचपन के समय
किसी आसेब का डर था मुझ में
जो भी आया कभी वापस न गया
ऐसी चाहत का भँवर था मुझ में
मैं था सदियों के सफ़र में 'अहमद'
और सदियों का सफ़र था मुझ में
ग़ज़ल
जिस समय तेरा असर था मुझ में
अहमद ख़याल