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जिस को लगता है गुम-शुदा हूँ मैं | शाही शायरी
jis ko lagta hai gum-shuda hun main

ग़ज़ल

जिस को लगता है गुम-शुदा हूँ मैं

सीमा शर्मा सरहद

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जिस को लगता है गुम-शुदा हूँ मैं
जान ले मुझ को ज़लज़ला हूँ में

मैं बचाती हूँ बद-दुआओं से
माँ की भेजी हुई दुआ हूँ मैं

खो गया जो घने अँधेरों में
उस उजाले का रास्ता हूँ मैं

मुझ को पहचान मेरे नाज़ उठा
तेरा अपनों से राब्ता हूँ मैं

नफ़रतों ने दिए हैं जो तुम को
ऐसे हर दर्द की दवा हूँ मैं

वक़्त से हार कर न बैठ मुझे
फिर बुला ले तिरी अदा हूँ मैं

मैं सुकूँ हूँ ख़ुशी भी हूँ 'सरहद'
कौन कहता है ग़म-ज़दा हूँ मैं