जिस का तुझ सा हबीब होवेगा
कौन उस का रक़ीब होवेगा
बे-वतन बे-रफ़ीक़ बे-असबाब
कौन ऐसा ग़रीब होवेगा
दर्द-ए-दिल की दवा हो जिस के पास
कोई ऐसा तबीब होवेगा
मिल रहेगा कभी तू दुनिया में
गर हमारा नसीब होवेगा
'सोज़' को वो मिलाएगा तुझ से
जो ख़ुदा का हबीब होवेगा
ग़ज़ल
जिस का तुझ सा हबीब होवेगा
मीर सोज़