EN اردو
जिस का चेहरा गुलाब जैसा है | शाही शायरी
jis ka chehra gulab jaisa hai

ग़ज़ल

जिस का चेहरा गुलाब जैसा है

इक़बाल पयाम

;

जिस का चेहरा गुलाब जैसा है
उस का मिलना तो ख़्वाब जैसा है

बात करता हूँ इस लिए उन की
बात करना सवाब जैसा है

मेरा जीना तिरी जुदाई में
इक मुसलसल अज़ाब जैसा है

नश्शा उस की नशीली आँखों का
सब से अच्छी शराब जैसा है

हाल उस का भी आज-कल यारो
दिल-ए-ख़ाना-ख़राब जैसा है

ऐ 'पयाम' इन की चाहतों का पयाम
चाहतों की किताब जैसा है