EN اردو
जिस दिन से यार मुझ से वो शोख़ आश्ना हुआ | शाही शायरी
jis din se yar mujhse wo shoKH aashna hua

ग़ज़ल

जिस दिन से यार मुझ से वो शोख़ आश्ना हुआ

आसिफ़ुद्दौला

;

जिस दिन से यार मुझ से वो शोख़ आश्ना हुआ
रुस्वा हुआ ख़राब हुआ मुब्तला हुआ

पहले तो बा-वफ़ा मुझे दिखलाया आप को
जब दिल को ले चुका तो ये कुछ बेवफ़ा हुआ

अफ़्सोस क्यूँ करे है हमें क़त्ल कर के तू
हम सा जो एक मर गया प्यारे तो क्या हुआ

तेग़-ए-फ़िराक़-ए-यार का मजरूह हो के मैं
फिरता हूँ ख़ाक-ओ-ख़ूँ में सदा लोटता हुआ

'आसिफ़' हमेशा दिल को नसीहत करूँ तहाँ
कहना मिरा न माना ये जा मुब्तला हुआ