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जिस बात को सुन कर तुझे तकलीफ़ हुई है | शाही शायरी
jis baat ko sun kar tujhe taklif hui hai

ग़ज़ल

जिस बात को सुन कर तुझे तकलीफ़ हुई है

वक़ार वासिक़ी

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जिस बात को सुन कर तुझे तकलीफ़ हुई है
दुनिया में उसी बात की तारीफ़ हुई है

पैग़ाम-ए-मसर्रत पे ख़ुशी ख़ूब है लेकिन
सुनते हैं कि हम-साए को तकलीफ़ हुई है

बिगड़े हुए कुछ हर्फ़ हैं बे-मा'नी से कुछ लफ़्ज़
ये ज़ीस्त के औराक़ की तालीफ़ हुई है

रूदाद में ऐसी तो कोई बात नहीं थी
मानो कि न मानो कोई तहरीफ़ हुई है

दुश्मन पे भी गुज़रे न कभी ऐसा ज़माना
कलियों के चटकने से भी तकलीफ़ हुई है

लिखता था क़सीदे तो कोई सुनता नहीं था
लिखने लगा जब हज्व तो तारीफ़ हुई है