जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है
उन का हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है
चाँद तारे मिरे क़दमों में बिछे जाते हैं
ये बुज़ुर्गों की दुआओं का असर लगता है
माँ मुझे देख के नाराज़ न हो जाए कहीं
सर पे आँचल नहीं होता है तो डर होता है
ग़ज़ल
जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है
अंजुम रहबर