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जीना है तो जीने का सहारा भी तो होगा | शाही शायरी
jina hai to jine ka sahaara bhi to hoga

ग़ज़ल

जीना है तो जीने का सहारा भी तो होगा

अतहर राज़

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जीना है तो जीने का सहारा भी तो होगा
हमदम मिरी क़िस्मत का सितारा भी तो होगा

ये सोच के इस शहर में हम आए थे शायद
ऐ जान-ए-तलब कोई हमारा भी तो होगा

हम इश्क़ की मंज़िल में ख़ता-वार हैं लेकिन
पहले तिरी जानिब से इशारा भी तो होगा

हम गर्दिश-ए-गिर्दाब-ए-अलम से नहीं डरते
तूफ़ाँ है अगर आज किनारा भी तो होगा