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जी रहा हूँ मैं उदासी भरी तस्वीर के साथ | शाही शायरी
ji raha hun main udasi bhari taswir ke sath

ग़ज़ल

जी रहा हूँ मैं उदासी भरी तस्वीर के साथ

अज़हर नैयर

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जी रहा हूँ मैं उदासी भरी तस्वीर के साथ
शोर करता हूँ सियह रात में ज़ंजीर के साथ

सुर्ख़ फूलों की घनी छाँव में चुपके चुपके
मुझ से मिलता था कोई इक नई तनवीर के साथ

इक तिरी याद कि हर साँस के नज़दीक रही
इक तिरा दर्द कि चस्पाँ रहा तक़दीर के साथ

कभी ज़ख़्मों का भी ख़ंदा-ए-गुल का मौसम
हम पे खुलता रहा इक दर्द की तफ़्सीर के साथ

बात आपस की है आपस ही में रहने दीजे
वर्ना हम सुर्ख़ियाँ बन जाएँगे तश्हीर के साथ

आप की मेज़ पे फिर एक नया मंज़र है
मेरी तस्वीर भी है आप की तस्वीर के साथ

दिल के नज़दीक सर-ए-शाम-ए-अलम ऐ 'नय्यर'
ज़ख़्म के चाँद चमक उठते हैं तनवीर के साथ