झूम के जब रिंदों ने पिला दी
शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
एक कमी थी ताज-महल में
मैं ने तिरी तस्वीर लगा दी
आप ने झूटा वा'दा कर के
आज हमारी उम्र बढ़ा दी
हाए ये उन का तर्ज़-ए-मोहब्बत
आँख से बस इक बूँद गिरा दी
ग़ज़ल
झूम के जब रिंदों ने पिला दी
कैफ़ भोपाली