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झूम कर गाओ मैं शराबी हैं | शाही शायरी
jhum kar gao main sharabi hain

ग़ज़ल

झूम कर गाओ मैं शराबी हैं

साग़र सिद्दीक़ी

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झूम कर गाओ मैं शराबी हैं
रक़्स फ़रमाओ मैं शराबी हूँ

एक सज्दा ब-नाम-ए-मय-ख़ाना
दोस्तो आओ मैं शराबी हूँ

लोग कहते हैं रात बैत चुकी
मुझ को समझाओ मैं शराबी हूँ

आज इन रेशमी घटाओं को
यूँ न बिखराओ मैं शराबी हूँ

हादसे रोज़ होते रहते हैं
भूल भी जाओ मैं शराबी हूँ

मुझ पे ज़ाहिर है आप का बातिन
मुँह न खुलवाओ मैं शराबी हूँ