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झमक दिखाते ही उस दिल-रुबा ने लूट लिया | शाही शायरी
jhamak dikhate hi us dil-ruba ne luT liya

ग़ज़ल

झमक दिखाते ही उस दिल-रुबा ने लूट लिया

नज़ीर अकबराबादी

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झमक दिखाते ही उस दिल-रुबा ने लूट लिया
हमें तो पहले ही उस की अदा ने लूट लिया

निगह के ठग की लगावट ने फ़न से कर ग़ाफ़िल
हँसी ने डाल दी फाँसी दुआ ने लूट लिया

वफ़ा जफ़ा ने ये की जंग-ए-ज़र-गरी हम से
वफ़ा ने बातों लगाया जफ़ा ने लूट लिया

लुटे हम उस की गली में तो यूँ पुकारे लोग
कि इक फ़क़ीर को इक बादशा ने लूट लिया

अभी कहें तो किसी को न ए'तिबार आवे
कि हम को राह में इक आश्ना ने लूट लिया

हज़ारों क़ाफ़िले जिस शोख़ ने किए ग़ारत
'नज़ीर' को भी उसी बेवफ़ा ने लूट लिया