जज़्ब है ख़ामशी-ए-गुल में तकल्लुम तेरा
जावेदाँ मेरे चमन में है तबस्सुम तेरा
बाग़ में सैल-ए-नुमू-खेज़ की हलचल तेरी
दश्त में शोर-ए-सिपाह-ए-मह-ओ-अंजुम तेरा
तेरी मरहून-ए-नवाज़िश मिरी सर्शारी-ए-ख़ाक
मय-कदा तेरा मय-ए-नाब तिरी ख़ुम तेरा
ख़ुश्क-ओ-तर पस्त-ओ-बुलंद आईना-ए-शाम-ओ-सहर
मेहरबाँ सब पे है सैलाब-ए-तरह्हुम तेरा
सब तिरे ज़ेर-ए-नगीं मौज समुंदर साहिल
बादबाँ तेरा तिरी नाव तलातुम तेरा
चश्मा-ए-आब-ए-रवाँ है जो सराब-ए-जाँ में
उस की हर लहर में रक़्साँ है तरन्नुम तेरा
है तिरी मिट्टी के हर ज़र्रे पे एहसाँ जिस का
'इशरत' उस ज़ात में हर नक़्श हुआ गुम तेरा
ग़ज़ल
जज़्ब है ख़ामशी-ए-गुल में तकल्लुम तेरा
इशरत ज़फ़र