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जताए जाते हैं एहसान भी सता के मुझे | शाही शायरी
jatae jate hain ehsan bhi sata ke mujhe

ग़ज़ल

जताए जाते हैं एहसान भी सता के मुझे

बेख़ुद देहलवी

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जताए जाते हैं एहसान भी सता के मुझे
सिखा रहे हैं वो गोया चलन वफ़ा के मुझे

रखा न हम को कहीं का तिरी मोहब्बत ने
वो कह रहे हैं अदू से सुना सुना के मुझे

तमीज़-ए-इश्क़-ओ-हवस पेशतर न थी उन को
वो और हो गए मग़रूर आज़मा के मुझे

शब-ए-विसाल अदाएँ भी हैं जफ़ाएँ भी
दिखाए जाते हैं अंदाज़ किस बला के मुझे

जो सैर देखनी मंज़ूर है तुम्हें 'बेख़ुद'
भिड़ा दो हज़रत-ए-ज़ाहिद से मय पिला के मुझे