जरस और सारबानों तक पहुँचना चाहता है
ये दिल अगले ज़मानों तक पहुँचना चाहता है
जुनूनी हो गया है मेरे दरियाओं का पानी
पहाड़ों के घरानों तक पहुँचना चाहता है
गुज़रना चाहती है बादलों से मेरी हैरत
मिरा शक आसमानों तक पहुँचना चाहता है
पतंगा एक पागल हो गया है रौशनी में
फ़रिश्तों की उड़ानों तक पहुँचना चाहता है
कसाफ़त ख़त्म कर के जिस्म की मिट्टी का पुतला
ख़ुदा के कार-ख़ानों तक पहुँचना चाहता है
नहीं आया ये अज़दर पर्बतों की सैर करने
ज़मीनों के ख़ज़ानों तक पहुँचना चाहता है
दरिंदे साथ रहना चाहते हैं आदमी के
घना जंगल मकानों तक पहुँचना चाहता है
ग़ज़ल
जरस और सारबानों तक पहुँचना चाहता है
दानियाल तरीर