जंगलों में कहीं खो जाना है 
जानवर फिर मुझे हो जाना है 
रास्ते में कहीं साया जो मिले 
उम्र भर के लिए सो जाना है 
ये समुंदर हैं बहुत ना-काफ़ी 
सारी दुनिया को डुबो जाना है 
कोई क़ीमत नहीं इन अश्कों की 
मुंतक़िल धरती में हो जाना है 
कोई मंज़िल नहीं मिलती 'मामून' 
कहीं रस्ते ही में सो जाना है
        ग़ज़ल
जंगलों में कहीं खो जाना है
ख़लील मामून

