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जैसा तुम चाहोगे वैसा नहीं होने वाला | शाही शायरी
jaisa tum chahoge waisa nahin hone wala

ग़ज़ल

जैसा तुम चाहोगे वैसा नहीं होने वाला

फ़सीहुल्ला नक़ीब

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जैसा तुम चाहोगे वैसा नहीं होने वाला
वर्ना होने को यहाँ क्या नहीं होने वाला

मुक़्तदिर हो तो ग़रीबों से जो चाहो ले लो
इज़्ज़त-ए-नफ़्स का सौदा नहीं होने वाला

दिल ये कहता है किसी को भी न ला ख़ातिर में
अक़्ल कहती है कि अच्छा नहीं होने वाला

अम्न प्रचार तलक ठीक सही लेकिन अम्न
तुम को लगता है कि होगा नहीं होने वाला

ज़र के मीज़ान में हर शख़्स को क्या तोलते हो
हर बशर तो सग-ए-दुनिया नहीं होने वाला

मेरा चेहरा है मिरे क़ल्ब का अक्कास 'नक़ीब'
मेरा चेहरा तिरा चेहरा नहीं होने वाला