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जहाँ तक रंज-ए-दुनिया है दिए जाओ | शाही शायरी
jahan tak ranj-e-duniya hai diye jao

ग़ज़ल

जहाँ तक रंज-ए-दुनिया है दिए जाओ

शरफ़ मुजद्दिदी

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जहाँ तक रंज-ए-दुनिया है दिए जाओ
हमारे दल के तुम टुकड़े किए जाओ

फ़क़त इक दल के पीछे हम बिगाड़ें
ख़फ़ा क्यूँ हो रहे हो लो लिए जाओ

लगा दो हाथ इक चलते ही चलते
ज़रा सा काम है मेरा किए जाओ

न उट्ठो ग़ैर की ख़ातिर यहाँ से
वो ख़ुद आ जाएगा तुम किस लिए जाओ

'शरफ़' भर भर के देते हैं वो ख़ुद जाम
पिए जाओ पिए जाओ पिए जाओ