जहाँ सारे हवा बनने की कोशिश कर रहे थे
वहाँ भी हम दिया बनने की कोशिश कर रहे थे
हमें ज़ोर-ए-तसव्वुर भी गँवाना पड़ गया हम
तसव्वुर में ख़ुदा बनने की कोशिश कर रहे थे
ज़मीं पर आ गिरे जब आसमाँ से ख़्वाब मेरे
ज़मीं ने पूछा क्या बनने की कोशिश कर रहे थे
उन्हें आँखों ने बेदर्दी से बे-घर कर दिया है
ये आँसू क़हक़हा बनने की कोशिश कर रहे थे
हमें दुश्वारियों में मुस्कुराने की तलब थी
हम इक तस्वीर सा बनने की कोशिश कर रहे थे
ग़ज़ल
जहाँ सारे हवा बनने की कोशिश कर रहे थे
अब्बास क़मर