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जहाँ में अभी यूँ तो क्या क्या न होगा | शाही शायरी
jahan mein abhi yun to kya kya na hoga

ग़ज़ल

जहाँ में अभी यूँ तो क्या क्या न होगा

नसीम भरतपूरी

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जहाँ में अभी यूँ तो क्या क्या न होगा
ज़मीं पर कोई तुम सा पैदा न होगा

शराब-ए-मोहब्बत को ऐ ज़ाहिदो तुम
बुरा गर कहोगे तो अच्छा न होगा

सर-ए-बज़्म दुश्नाम दुश्मन को दे कर
मुझे तुम ने क्या दिल में कोसा न होगा

मिरी बे-क़रारी को क्या देखते हो
कभी बर्क़ को तुम ने देखा न होगा

'नसीम' और कुछ फ़िक्र कीजे ख़ुदारा
अब इस नौकरी में गुज़ारा न होगा