जहान-ए-फ़िक्र पे चमकेगा जब सितारा मिरा
हुनर ज़माने पे तब होगा आश्कारा मिरा
अभी से मत मिरे किरदार को मरा हुआ जान
तिरे फ़साने में ज़िक्र आएगा दोबारा मिरा
तुझे दराहिम-ओ-दीनार की शही ज़ेबा
मैं मुतमइन हूँ कि लफ़्ज़ों पे है इजारा मिरा
ये इश्तियाक़ मिरी दस्तरस वहाँ तक हो
ये इंतिज़ार वो किस वक़्त होगा सारा मिरा
रुमूज़-ए-इश्क़ से कब होगी आश्नाई तिरी
मिरे नदीम तू समझेगा कब इशारा मिरा
ज़मीन-ए-क़िब्ला-ए-अव्वल तुझे ख़ुदा रखे
कि दिल हुआ है तिरे ग़म में पारा पारा मिरा
ग़ज़ल
जहान-ए-फ़िक्र पे चमकेगा जब सितारा मिरा
अब्दुर्राहमान वासिफ़