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जफ़ाएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में | शाही शायरी
jafaen dur tak jati hain kam aabaad shahron mein

ग़ज़ल

जफ़ाएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में

मुनीर नियाज़ी

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जफ़ाएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में
वफ़ाएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में

बहारें देर तक रहती हैं कम आबाद क़रियों में
खिज़ाएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में

सदा हँसने की हो अफ़्सोस की या आह भरने की
सदाएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में

अँधेरा जब घना हो तो चराग़-ए-राह-ए-वीराँ की
शुआएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में

'मुनीर' आबाद शहरों के मकीनों की हवा ले कर
हवाएँ दूर तक जाती हैं कम आबाद शहरों में