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जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया | शाही शायरी
jab uski zulf mein pahla safed baal aaya

ग़ज़ल

जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया

शहज़ाद अहमद

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जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया
तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया

वो जिस का ज़िक्र हम इतनी ख़ुशी से करते हैं
वही तो उम्र में सब से उदास साल आया

बहुत दिनों से मैं ज़िंदों में था न मुर्दों में
ग़ज़ल हुई तो मिरे दश्त में ग़ज़ाल आया

ज़ियादा-तर तो हम अपनी ही ख़ाक उड़ाते रहे
तुम्हारा रूप तो शेरों में ख़ाल ख़ाल आया