EN اردو
जब उस का नाम लबों पर दुआ के साथ उतरे | शाही शायरी
jab us ka nam labon par dua ke sath utre

ग़ज़ल

जब उस का नाम लबों पर दुआ के साथ उतरे

हसन अब्बासी

;

जब उस का नाम लबों पर दुआ के साथ उतरे
तो चाँद आँख में कोई घटा के साथ उतरे

तुम्हारी याद उतरती है इस तरह दिल में
कि जैसे सहन में बारिश हवा के साथ उतरे

कबूतरों की तरह उड़ते हैं तिरे ग़म भी
कि दिल की छत पे तो पहली सदा के साथ उतरे

फ़राज़-ए-कोह से आता है जिस तरह पानी
कभी वो आँख से ऐसी अदा के साथ उतरे

मैं नींद वादी में जब भी 'हसन' उतरने लगा
हज़ार रंग के सपने भी आ के साथ उतरे