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जब रखे पाँव उस ने पानी में | शाही शायरी
jab rakhe panw usne pani mein

ग़ज़ल

जब रखे पाँव उस ने पानी में

नोमान फ़ारूक़

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जब रखे पाँव उस ने पानी में
आ गई मौज भी रवानी में

सारे मज़मून थे बलाग़त के
एक कमसिन की बे-ज़बानी में

इक नया ज़ाइक़ा जनम लेगा
प्यास देखो मिला के पानी में

ग़म न देखा कोई बुढ़ापे का
मर गए शुक्र है जवानी में

आज रूठी है साँवली मुझ से
कह दिया जाने क्या रवानी में