जब मिलेंगे कि अब मिलेंगे आप
नहीं मालूम कब मिलेंगे आप
जाइए जाइए ख़ुदा-हाफ़िज़
देखिए बिछड़े कब मिलेंगे आप
हश्र में आप ही मिलेंगे क्या
एक से एक सब मिलेंगे आप
होगा मेरे लिए वो ईद का दिन
आप से आ के जब मिलेंगे आप
अहद के साथ ये भी हो इरशाद
किस तरह और कब मिलेंगे आप
ज़िंदगी में तो मिल नहीं सकते
हूँगा जब जाँ-ब-लब मिलेंगे आप
वादा-ए-वस्ल पर न क्यूँ ख़ुश हूँ
मैं ने समझा कि अब मिलेंगे आप
नहीं दुनिया में जब बशीर-ए-हज़ीं
किस तरह उस से अब मिलेंगे आप
ग़ज़ल
जब मिलेंगे कि अब मिलेंगे आप
बशीरुद्दीन अहमद देहलवी