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जब कोई टीस दिल दुखाती है | शाही शायरी
jab koi Tis dil dukhati hai

ग़ज़ल

जब कोई टीस दिल दुखाती है

बलवान सिंह आज़र

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जब कोई टीस दिल दुखाती है
नब्ज़ कुछ देर रुक सी जाती है

आज आवारगी से कह दूँगा
एक चौखट मुझे बुलाती है

घुप-अँधेरे का फ़ाएदा ले कर
ओस फूलों पे बैठ जाती है

कल तलक तो वरक़ ही उड़ते थे
अब हवा हर्फ़ भी उड़ाती है

जागते हैं सभी शजर 'आज़र'
दश्त में किस को नींद आती है