जब करें मुझ तिरे का ख़्याल अँखियाँ
अश्क सीं तर करें रुमाल अँखियाँ
छोड़ ख़ूबाँ का देखना ऐ दिल
लाग जावेंगी आज-काल अँखियाँ
आज तुझ पर निसार करने कूँ
अश्क मोती हुए हैं थाल अँखियाँ
दिल फड़कता है बीजली की जूँ
हुई हैं आज बर्शकाल अँखियाँ
जब चलावे सनम निगह की तेग़
'यकरू' तब तूँ कर अपनी ढाल अँखियाँ
ग़ज़ल
जब करें मुझ तिरे का ख़्याल अँखियाँ
अब्दुल वहाब यकरू