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जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए | शाही शायरी
jab jab tumhein bhulaya tum aur yaad aae

ग़ज़ल

जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए

राजेन्द्र कृष्ण

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जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए
जाते नहीं हैं दिल से अब तक तुम्हारे साए

तुम से बिछड़ के हम ने दिल को बहुत सँभाला
गुलशन में ये न बहला सहरा में भी सताए

मरने की आरज़ू में हम जी रहे हैं ऐसे
जैसे कि लाश अपनी ख़ुद ही कोई उठाए