जब हुई उस की तवज्जोह में कमी थोड़ी सी
ख़ुद-ब-ख़ुद आ गई आँखों में नमी थोड़ी सी
बन गया फूल बनाने थे ख़द-ओ-ख़ाल उस के
रह गई मेरे तख़य्युल मैं कमी थोड़ी सी
और दो-आतिशा कर देती है आहंग-ए-ग़ज़ल
हिंदवी लय में नवा-ए-अजमी थोड़ी सी
ग़ज़ल
जब हुई उस की तवज्जोह में कमी थोड़ी सी
अशफ़ाक़ हुसैन