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जब भी चली है तेरी बात | शाही शायरी
jab bhi chali hai teri baat

ग़ज़ल

जब भी चली है तेरी बात

देवमणि पांडेय

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जब भी चली है तेरी बात
होंटों पर मचले नग़्मात

चाँद खिले जब रातों में
आए यादों की बारात

माना तेरा साथ नहीं
लेकिन ग़म है अपने साथ

रुत भी नहीं ये सावन की
दामन दामन है बरसात

जिस इंसाँ ने हिम्मत की
बदले हैं उस के हालात