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जाते हुए निगाह इधर कर के देख लो | शाही शायरी
jate hue nigah idhar kar ke dekh lo

ग़ज़ल

जाते हुए निगाह इधर कर के देख लो

दिल अय्यूबी

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जाते हुए निगाह इधर कर के देख लो
हम लोग फिर कहाँ हमें जी-भर के देख लो

देता है अब यही दिल-ए-शोरीदा मशवरा
जीने से तंग हो तो मियाँ मर के देख लो

रहने का दश्त में भी सलीक़ा नहीं गया
याँ भी क़रीने सारे मिरे घर के देख लो

शाहान-ए-कज-कुलाह ज़मीं-बोस हो गए
तेवर मगर वही हैं मिरे सर के देख लो

सज्दे में दो-जहान हैं ऐ 'दिल' हमारे साथ
रुत्बे ये आस्तान क़लंदर के देख लो