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जारी थी अभी दुआ हमारी | शाही शायरी
jari thi abhi dua hamari

ग़ज़ल

जारी थी अभी दुआ हमारी

शाहीन अब्बास

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जारी थी अभी दुआ हमारी
और टूट गई सदा हमारी

याँ राख से बात चल रही है
तू शो'लगी पर न जा हमारी

झोंका था गुरेज़ के नशे में
दीवार गिरा गया हमारी

दुनिया में सिमट के रह गए हैं
बस हो चुकी इंतिहा हमारी

मैं और उलझ गया हूँ तुझ में
ज़ंजीर खुली है क्या हमारी

आ देख जो हम दिखा रहे हैं
आ बाँट कभी सज़ा हमारी

पानी पे मज़ाक़ बन गए हम
कश्ती में ने थी जा हमारी

गो एक ग़ुबार में हैं दोनों
वहशत है जुदा जुदा हमारी