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जानें मुश्ताक़ों की लब पर आइयाँ | शाही शायरी
jaanen mushtaqon ki lab par aaiyan

ग़ज़ल

जानें मुश्ताक़ों की लब पर आइयाँ

मीर मोहम्मदी बेदार

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जानें मुश्ताक़ों की लब पर आइयाँ
बलबे ज़ालिम तेरी बे-परवाइयाँ

जेब तो क्या नासेहा दामन की भी
धज्जियाँ कर इश्क़ ने दिखलाइयाँ

इस समन-अंदाज़ गुल-रुख़्सार की
जाँ-फ़ज़ा निकहत चुरा कर लाइयाँ

सुन के ये बाद-ए-सबा ने बाग़ में
गठरियाँ ग़ुंचों की सब खुलवाइयाँ

देखते ही उस को शैदा हो गया
क्या हुईं 'बेदार' वे दानाइयाँ