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जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी | शाही शायरी
jaane phir uske dil mein kya baat aa gai thi

ग़ज़ल

जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी

त्रिपुरारि

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जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी
मुझ को गले लगा कर वो ख़ुद भी रो पड़ी थी

हम दोनों दरमियाँ से उस रात हट चुके थे
दोनों के दरमियाँ बस इक पाक रौशनी थी

जज़्बात के समुंदर बेचैन हो रहे थे
जब चाँद था अधूरा जब रात साँवली थी

इक बात कहते कहते लब ख़ुश्क हो चले थे
आँखों से एक नद्दी चुप-चाप बह चली थी

आँखों में एक चेहरा कुछ ऐसे घुल रहा था
काजल पिघल पिघल कर तस्वीर बन गई थी

सूरज नहीं उगा था पर रात ढल चुकी थी
दोशीज़गी का लम्हा घूँघट में वो कली थी