जाने किस किस का ख़याल आया है
इस समुंदर में उबाल आया है
एक बच्चा था हवा का झोंका
साफ़ पानी को खँगाल आया है
एक ढेला तो वहीं अटका था
एक तू और उछाल आया है
कल तो निकला था बहुत सज-धज के
आज लौटा तो निढाल आया है
ये नज़र है कि कोई मौसम है
ये सबा है कि वबाल आया है
हम ने सोचा था जवाब आएगा
एक बेहूदा सवाल आया है
ग़ज़ल
जाने किस किस का ख़याल आया है
दुष्यंत कुमार