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जाने किस की आहट का इंतिज़ार करता है | शाही शायरी
jaane kis ki aahaT ka intizar karta hai

ग़ज़ल

जाने किस की आहट का इंतिज़ार करता है

अंजुम लुधियानवी

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जाने किस की आहट का इंतिज़ार करता है
टूट तो चुका है वो देखो कब बिखरता है

ज़ख़्म चाहे जैसा हो एक दिन तो भरता है
आप सोए होते हैं वक़्त काम करता है

रोज़ छुप के तकता है प्यासी प्यासी नज़रों से
उस के घर के आगे से दरिया जब गुज़रता है

दिल का क्या करूँ यारो मानता नहीं मेरी
अपने दिल की सुनता है अपने मन की करता है

दिल बुझा बुझा हो तो क्या बुरा है रोने में
बारिशों के बा'द अंजुम आसमाँ निखरता है