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जाना जाना जल्दी क्या है इन बातों को जाने दो | शाही शायरी
jaana jaana jaldi kya hai in baaton ko jaane do

ग़ज़ल

जाना जाना जल्दी क्या है इन बातों को जाने दो

सफ़ी लखनवी

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जाना जाना जल्दी क्या है इन बातों को जाने दो
ठहरो ठहरो दिल तो ठहरे मुझ को होश में आने दो

पाँव निकालो ख़ल्वत से आए जो क़यामत आने दो
सय्यारे सर आपस में टकराएँ अगर टकराने दो

बादल गरजा बिजली चमकी रोई शबनम फूल हँसे
मुर्ग़-ए-सहर को हिज्र की शब के अफ़्साने दोहराने दो

हाथ में है आईना ओ शाना फिर भी शिकन पेशानी पर
मौज-ए-सबा से तुम न बिगड़ो ज़ुल्फ़ों को बल खाने दो

कसरत से जब नाम-ओ-निशाँ है क्या होंगे गुमनाम 'सफ़ी'
नक़्श दिलों पर नाम है अपना नक़्श-ए-लहद मिट जाने दो