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जान से कैसे जाया जाता है | शाही शायरी
jaan se kaise jaya jata hai

ग़ज़ल

जान से कैसे जाया जाता है

अंजुम ख़याली

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जान से कैसे जाया जाता है
ये हुनर क्या सिखाया जाता है

बोल कर बोलियाँ परिंदों की
इन को घेरे में लाया जाता है

बाज़ वादे किए नहीं जाते
फिर भी उन को निभाया जाता है

मैं न जाऊँ कहीं तो फिर देखूँ
किस तरह मेरा साया जाता है

सुब्ह के ब'अद भी जो रौशन हों
इन दियों को बुझाया जाता है