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जान-ओ-दिल हैं उदास से मेरे | शाही शायरी
jaan-o-dil hain udas se mere

ग़ज़ल

जान-ओ-दिल हैं उदास से मेरे

मीर हसन

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जान-ओ-दिल हैं उदास से मेरे
उठ गया कौन पास से मेरे

कोई भी अब उमीद बाक़ी है
पूछियो दाग़-ए-यास से मेरे

सब की अर्ज़ी से ख़ुश हो तुम लेकिन
हो ख़फ़ा इल्तिमास से मेरे

शायद उठने का क़स्द तुम ने किया
उड़ चले कुछ हवास से मेरे

ऐश मुझ तक तो पहुँचे तब जो टले
फ़ौज-ए-ग़म आस-पास से मेरे

दूर ही दूर फिरते हैं कुछ बख़्त
अब तो उम्मीद-ओ-यास से मेरे

क्या मैं ठहराऊँ उस को दिल में 'हसन'
है वो बाहर क़यास से मेरे