जान हम तुझ पे दिया करते हैं
नाम तेरा ही लिया करते हैं
चाक करने के लिए ऐ नासेह
हम गरेबान सिया करते हैं
साग़र-ए-चश्म से हम बादा-परस्त
मय-ए-दीदार पिया करते हैं
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
संग-ए-असवद भी है भारी पत्थर
लोग जो चूम लिया करते हैं
कल न देगा कोई मिट्टी भी उन्हें
आज ज़र जो कि दिया करते हैं
दफ़्न महबूब जहाँ हैं 'नासिख़'
क़ब्रें हम चूम लिया करते हैं
ग़ज़ल
जान हम तुझ पे दिया करते हैं
इमाम बख़्श नासिख़