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जान दे कर वफ़ा में नाम किया | शाही शायरी
jaan de kar wafa mein nam kiya

ग़ज़ल

जान दे कर वफ़ा में नाम किया

सूफ़ी तबस्सुम

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जान दे कर वफ़ा में नाम किया
ज़िंदगी भर मैं एक काम किया

बे-नक़ाब आ गया सर-ए-महफ़िल
यार ने आज क़त्ल-ए-आम किया

आसमाँ भी उसे सता न सका
तू ने जिस दिल को शाद-काम किया

इश्क़-बाज़ी था काम रिंदों का
तू ने इस ख़ास शय को आम किया

अब के यूँही गुज़र गई बरसात
हम ने ख़ाली न एक जाम किया