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जाएँगे कहाँ सर पे जब आ जाएगा सूरज | शाही शायरी
jaenge kahan sar pe jab aa jaega suraj

ग़ज़ल

जाएँगे कहाँ सर पे जब आ जाएगा सूरज

फख्र ज़मान

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जाएँगे कहाँ सर पे जब आ जाएगा सूरज
वो लोग जो दीवार के साए में खड़े हैं

अल्लाह ये लम्हा तो क़यामत की घड़ी है
इंसान से इंसान के साए भी बड़े हैं

हर मोड़ पे हैं सर-ब-फ़लक क़स्र-नुमायाँ
हर मोड़ पे कश्कोल लिए लोग खड़े हैं

इस दर्जा गिरानी है कि पत्थर नहीं मिलते
क़ब्रों पे सलीबें नहीं इंसान गड़े हैं